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बांधवगढ़: हाथियों का कुनबा बढ़ाने वाली हथिनी तूफान की मौत।


तीन दिन से थी बीमार, बांधवगढ़ के डॉक्टर कर रहे थे इलाज
कल्लवाह के जनाड़ हाथी कैंप में तूफान की मौत

उमरिया::- बांधवगढ़ नेशनल पार्क की चर्चित हथिनी तूफान ने दम तोड़ दिया है। फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व वीसेंट रहीम के अनुसार, कल्लवाह परिक्षेत्र के जनाड़ हाथी कैंप में वृद्ध हथिनी तूफान की मौत हुई है। तूफान की आयु लगभग 70 वर्ष थी। तूफान पिछले तीन दिनों से बीमार थी। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के वन्य जीव पशु शल्यज्ञ डॉ नितिन गुप्ता हथिनी का इलाज भी कर रहे थे। बताया गया कि दो फरवरी को रात तूफान जनाड़ हाथी कैंप के समीप नाले में पानी पीने गई और वहीं बैठ गई। कुछ ही समय बाद उसकी मौत हो गई। तूफान की मौत की खबर मिलने पर क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ विंसेंट रहीम द्वारा डॉ नितिन गुप्ता, डॉ अभय सेंगर एवं डॉ हिमांशु पशु चिकित्सक, वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट की टीम बनाई। 3 फरवरी को खुद एनटीसीए के प्रतिनिधि सत्येन्द्र तिवारी की मौजूदगी में शव परीक्षण करवाया गया। हथिनी तूफान की मौत की वजह जानने सैंपल लैब भेजा है। शव को क्षेत्र संचालक, एनटीसीए के प्रतिनिधि एवं वन अधिकारियों की मौजूदगी में गड्ढा खोदकर दफनाया गया।

दूसरे पार्कों में भी कुनबा, रेस्क्यू में बड़ा योगदान
उल्लेखनीय है कि तूफान को वृद्धावस्था के कारण सेवानिव़ृत्त किया गया था। उसका उपयोग गश्त में नहीं किया जा रहा था। इसके पूर्व तूफान द्वारा बांधवगढ़ में कई रेस्क्यू और गश्त कार्य में सक्रिय योगदान दिया था। बांधवगढ़ के पूर्व कान्हा और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में भी रही है। तूफान की संतान वनराज को नौरादेही अभ्यारण्य भेजा गया, एक संतान अष्टम, बांधवगढ़ में है। तूफान को कुंभी कछार कैंप में जंगली हाथियों द्वारा घायल किया था।
हाथियों की स्थिति
तूफान की मृत्यु के साथ अब बांधवगढ़ में मात्र 14 हाथी ही बाकी हैं, जिसमें से 8 हाथी ही गश्त में उपयोग किया जा रहा है। बताया जा रहा कि तूफान का कुनबा दूसरे पार्कों में भी है।

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