कटनी एनएसयूआइ ज़िलाध्यक्ष दिव्यांशू मिश्रा
Qarantnews-कटनी। मप्र हाइकोर्ट में कटनी ज़िले में ब्लड कोम्पोनेंट सेपरेटर मशीन लगाने के लिए दायर जनहित याचिका की सुनवाई हस्तक्षेप याचिका के रूप में की जाएगी। चीफ़ जस्टिस मो. रफ़ीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिविज़न बेंच ने रजिस्ट्री को निर्देश दिए है कि याचिका को हस्तक्षेप याचिका में परिवर्तित कर करोना के इलाज में विचाराधीन मुख्य याचिका के साथ लिंक किया जाए। यह जनहित याचिका कटनी एनएसयूआइ ज़िलाध्यक्ष दिव्यांशू मिश्रा अंशू एवं सह याचिकाकर्ता कटनी ब्लड डोनर्स वेल्फ़ेर सोसायटी अध्यक्ष लोकेश टीनू सचदेवा एवं महिला विंग अध्यक्ष श्रेया रौनक़ खंडेलवाल की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया हे कटनी ज़िले की आबादी 10 लाख से अधिक होने के बावजूद ज़िला अस्पताल में ब्लड कम्पोनेंट मशीन नहीं है और थेलिसिमिया, एनिमिया और ब्लड कैन्सर के मरीज़ों को नियमित प्लाज़्मा की ज़रूरत होती है। यह मशीन ना होने से मरीज़ों को 100 किलोमीटर दूर जबलपुर जाना पड़ता है। याचिका में करोना में दी जाने वाली प्लाज़्मा का भी ज़िक्र है। प्लाज़्मा के लिए जबलपुर आने जाने में मोटी रक़म लगती और समय भी ख़राब होता हे। उक्त मामले में कटनी सीएमएचओ ने 13 जनवरी 2021 को पत्र लिखकर ब्लड कम्पोनेंट प्लाज़्मा एफेरेसिस मशीन लगाने की माँग भी की थी।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया की डब्लूएचओ ने हाल ही में कहा है कि कोविड 19 के इलाज में प्लाज़्मा थेरेपी कारगर नहीं है।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता योगेश सोनी ने तर्क दिया कि गर्भवती महिलाओं को खून की कमी होने से प्लेट्टलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है।गर्भवती महिलाओं को प्लेट्टलेट्स के लिए जबलपुर जाना पड़ता है। इस दौरान कई महिलाओं की मौत हो जाती है।
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