शहड़ोल ::-QRANT NEWS::- पुष्पेंद्र चतुर्वेदी की रिपोर्ट::- कोरोना महामारी के इस दौर में जहां प्रशासनिक अधिकारी इस संक्रमण से निजात पानें के लिये लगातार युद्ध स्तर पर काम रहे हैं वहीं आपदा के इस दौर में अवसर तलाश रहे कुछ अधिकारी बखेडा खड़ा करते नजर आ रहे हैं । दरअसल मामला जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मेघ सिंह सागर से जुड़ा है जिन पर जिले में पदस्थ संविदा कर्मचारियों नें अभद्र व्यवहार करनें व धमकी देनें का आरोप लगाते हुये आयुक्त से लेकर , मंत्री व मानव अधिकार आयोग तक लिखित शिकायत की है। खास बात यह है कि इस शिकायत में जिस तरह से सीएचएमओ पर आरोप लगाया गया है जब हमनें इस शिकायत कि पड़ताड़ की तो कई ऐसे तथ्य सामनें आये जिससे इस शिकायत पर ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्र बताते हैं उक्त शिकायत के सूत्रधार डिस्ट्रिक कम्यूनिटी मोबिलाईजर (डीसीएम) रामगोपाल गुप्ता हैं।
दरअसल पूरे मामले की स्क्रिप्ट इस शिकायत के दो दिन पहले ही तैयार कर ली गई थी। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डीसीएम के पद पर पदस्थ रामगोपाल गुप्ता द्वारा अपनें निजी वाहन के नाम पर प्रतिमाह 20 हजार रुपये की राशि आहरित की जाती थी। लेकिन वाहन का कोई शासकीय उपयोग नहीं किया जाता था, इस बात की जानकारी लगते ही सीएचएमओं नें इस पर आपत्ति उठाई और उक्त राशि के अंतरण पर सवाल उठाया, जिससे नाराज डीसीएम नें पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया। खास बात यह भी है कि हाल ही में कोरोना को लेकर जिले की जानकारी सीएम की ब्रीफिंग में देनें के लिये सीएचएमओ उक्त अधिकारी को तैयार करनें को भी कहा था, बावजूद इसके इनके द्वारा जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई । मुख्यमंत्री जी की वीसी तक में किल कोरीना 2 की जानकारी उपलब्ध नहीं कराना इससे ज्यादा और क्या लापरवाही एवम् अनुशासन हीनता हो सकती है। जब दूसरे दिन भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई तो बेबस मुख्यचिकित्सा एवम् स्वास्थ्य अधिकारी अब नोडल अधिकारी, किल कोरो ना से यह पूछना कि जानकारी क्यो नहीं दे रहे, कहा से गलत है। बहरहाल पूरे मामले की हकीकत तो आनें वाले समय में सामनें आ जायेगी लेकिन इन सब में इतना जरुर है कि जिले की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और कोरोना महामारी के इस दौर में उच्च अधिकारियों के कुशल दिशानिर्देशन में सीएचएमओ नें सुदृढ़ किया है। संकट के दौर में भी अल्प संसाधनों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा जिले वासियों को मुहैया कराई गई है । कोरोना काल में मैदानी स्तर से लेकर उच्च अधिकारी जिस तरह से दिन रात लगे हुये हैं ऐसे में यह शिकायत मनोवैज्ञानिक दबाव ड़ालनें, कुशल नेतृत्व व मेहनती अधिकारी की इमेज खराब करने के साथ ही मनोबल को कमजोर करनें का काम जरुर कर रहा है।
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि यह घटना अन्य दो कर्मचारियों के समक्ष हुई है जिसमे scst एक्ट,जेल भेजने ,पांच पांच जिले के मंत्री के जिलों से आया हूं जैसी कोई बात ही नहीं हुई है।
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