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देश की अदालतों में विराजमान न्याय की देवी पर सवाल उठ खड़े हुए!

 


मुगलों और अंग्रेजों के शासनकाल में  बनी इमारतों और स्थानों के नामकरण के बाद न्याय की देवी पर भी विवाद खड़ा हो गया है ।

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देश की अदालतों में विराजमान न्याय की देवी पर सवाल उठ खड़े हुए है । न्यायालयों  में लगी न्याय की देवी को यूनानी बताते हुए उनके स्थान पर चित्रगुप्त की प्रतिमा लगाने की मांग उठ रही है । इसी आशय का एक ज्ञापन कटनी कायस्थ समाज ने निवर्तमान महापौर शशांक श्रीवास्तव के नेतृत्व में कलेक्टर को सौंपा है । कटनी कायस्थ समाज ने महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन में मांग की है कि न्यायालयों में चित्रगुप्त की प्रतिमा लगाई जावे । कायस्थ समाज का कहना है कि न्यायालय में यूनानी न्याय की मूर्ति लगी रहती है । चित्रगुप्त ब्रह्मा के अंश से उत्पन्न हुए और न्याय के देवता माने जाते हैं , उनके प्रतीक चिन्ह न्याय पुस्तकों में व न्यायिक प्रक्रियाओं में और न्यायालय में उनकी प्रतिमा लगी होना चाहिए , हमारा सनातन धर्म है वह आधार पर व्यवस्था कायम हो हम अंग्रेजों की गुलामी 75 साल पहले छोड़ चुके हैं । यूनानी देवी की प्रतिमा प्रतीक चिन्ह के रूप में स्थापित है जो कि अंग्रेजो के द्वारा स्थापित की गई थी जो आज भी हमारे देश को गुलामी का एहसास दिलाती है ।


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