उमरिया - प्राकृतिक खेती की बताई गई विधि को जिले के कृषक आत्मसात करें। किसान अपनी खेती के छोटे से एरिया में प्राकृतिक खेती करके आजमा सकते है। प्राकृतिक खेती करनें से कृषकों को बहुत से फायदें स्वमेव दिखाई देंगे। किसान प्राकृतिक खेती करके कृषि को लाभ का धंधा बनाएं एवं आत्म निर्भर की ओर आगें बढ़े। उक्त आशय के विचार विधायक बांधवगढ़ शिवनारायन सिंह ने आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्राकृतिक खेती पर जिला स्तरीय किसान मेले को संबोधित करते हुए व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि केंद्र एवं मप्र की सरकार किसानों की आय दोगुना करनें के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। जरूरत आगें बढ़कर उसका लाभ लेने की है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान अपनी खेती को लाभ का धंधा बनानें के लिए आगें आएं एवं किसानों के लिए चलाई जा रही हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ उठाऐ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मिथिलेश पयासी ने कहा कि देश में 75 प्रतिशत किसान खेती का कार्य कर रहे है। देश की अर्थ व्यवस्था भी खेती किसानी पर टिकी हुई हेै। किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान करनें किसान मेलों का आयोजन किया गया है। इसलिए आवश्यक है कि मेले मे ंबताई जा रही बातों को आत्म सात करें एवं उसका उपयोग खेती किसानी में करेंगे तो निश्चित रूप से किसान आत्म समृद्ध की ओर अग्रसर होगे
इस अवसर पर धनुषधारी सिंह, संतोष सिंह, अतुल जैन, उप संचालक कृषि खेलावन डेहरिया, वरिष्ठ कृषि विज्ञान अधिकारी डा0 के पी तिवारी, परियोजना संचालक आत्मा से दीपक कुमार पटेल, शिवशंकर प्रजापति, कमलेश्वरी सिंह मरावी, अनुराग शुक्ला सहित बड़ी संख्या में किसान गण उपस्थित रहे। कार्यक्रम के पूर्व में वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी डा के पी तिवारी के द्वारा कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत करते हुए किसानों को प्राकृतिक खेती, कृषि यंत्रीकरण, लघु धान्य, तिलहन एवं बॉयों फोर्टिफाईट फसलों पर की जानकारी दी गई। कार्यक्रम का सफल संचालन मो0 सिद्दकी द्वारा किया गया।
हर हाथ मे पहुंची हितग्राही मूलक योजनाएं
कृषि विज्ञान केंद्र डबरौंहा मे आयोजित किसान मेला मे हितग्राही मूलक योजनाओं की प्रदर्शनी लगाकर योजनाओ की जानकारी बुकलेट के माध्यम से किसानो ंको दी गई। इस अवसर पर मानपुर के करौंदीटोला निवासी दुर्गा स्व सहायता समूह द्वारा औषधीय पौधों की नर्सरी, एपीओ भरौला के द्वारा वर्मी कम्पोस्ट , महुआ के लड्डू के साथ ही दौरान कोदो, कुटकी, तिलहन एवं बायोफोर्टिफाईट फसल प्रजातियांे के संबंध में कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा के साथ प्राकृतिक खेती पर प्रायोगिक प्रदर्शनी लगाई गई जिसका अवलोकन किसानों द्वारा किया गया।
(अंजनी राय की रिपोर्ट)
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