उमरिया - श्री रामनवमी के पवित्र अवसर पर मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन के सहयोग से शासकीय उमावि विद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय प्राकट्य पर्व संपन्न हुआ। 10 अप्रैल को इंशिका पाण्डेय एवं उनके साथी कलाकारों के द्वारा श्री राम के जन्म, बधाई गीत सहित अन्य गीतों की एक से बढ़कर एक बघेली गीतों की प्रस्तुति दी गई, जिसे दर्शक सुनकर मंत्र मुग्ध हो गये।
इसी तरह वनवासी लीला नाट्य द्वारा निषादराज गुहा की प्रस्तुति दी गई जिसके निर्देशक श्रीप्रसन्न दास रहे। संगीत में मिलिन्द्र त्रिवेदी, आलेख में योगेश त्रिपाठी रहे। इस अवसर पर कलाकारों के द्वारा महराज दशरथ के द्वारा संतान उत्पत्ति के यज्ञ करना, कैकई द्वारा राम के वन गमन की इच्छा प्रकट करना, श्रीराम के वन गमन को लेकर महराज दशरथ का भावुक होना, श्रीराम के साथ माता सीता एवं भाई लक्ष्मण द्वारा भी वनवास के लिए तैयार होना , श्रीराम जी द्वारा माता सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ वन की ओर गमन करना, वन मे निषादराज से मुलाकात करना एवं रात्रि विश्राम करना तत्पश्चात वहां के निवासियों से मुलाकात करना, श्रीराम जी के द्वारा केवट से नौका से गंगा पार करनें का संवाद करना तथा नौका से गंगा पार करानें के पूर्व केवट द्वारा श्रीराम के चरण धुलना तथा पार होने के बाद माता सीता द्वारा मुदरी भेंट करना, भरत द्वारा निषादराज से मुलाकात करना, भरत द्वारा श्रीराम जी को अध्योध्या वापस लाने के लिए चित्रकूट जाना, भरत द्वारा श्रीराम से चित्रकूट में भेंट कर उनसे आयोध्या वापसी का संवाद करना, रावण द्वारा छल पूर्वक माता सीता हरण करना, जटायु द्वारा माता सीता को रावण से बचानें हेतु युद्ध करने सहित रावण का वध करके श्रीराम जी के आयोध्या वापस लौटनें का मंचन किया गया।
कार्यक्रम के दौरान एसडीएम मानपुर सिद्धार्थ पटेल सहित बड़ी संख्या में दर्शक गण उपस्थित रहे, जिन्होंने भावुक होकर श्रीराम के वन गमन से लेकर श्रीराम जी के आयोध्या आगमन तक की कहानी को नाट्य के माध्यम से देखा एवं कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की।
(अंजनी राय की रिपोर्ट)
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