उमरिया।जिले की लाइफ लाइन कही जाने वाली उमरार नदी बीते कई वर्षों से नाले में तब्दील होने के साथ-साथ सूखने के कगार पर पंहुच गई है उमरार नदी के सरंक्षण एवं संवर्धन को लेकर नागरिकों एवं समाजसेवियों के दल ने नदी की पदयात्रा की शुरुआत की है,पदयात्रा की शुरुआत नदी के उद्गमस्थल ग्राम बिरहुलिया से की गई जो कई गांवों से गुजरते हुए उमरार के सोन नदी में मिलने वाले स्थल ग्राम खैरवार में समाप्त होगी,बुधवार को पदयात्रा ग्राम कछरवार से चलकर ग्राम सलैया पंहुची है।इस यात्रा में नागरिकों सहित संत समाज ने भी हिस्सा लिया है।पदयात्रा का लोगों के द्वारा सम्मान किया जा रहा है।
गांव के लिए वरदान रही है उमरार
पदयात्रा से सरंक्षण की कवायत।
उमरार नदी के सरंक्षण को लेकर जब सरकारी प्रयास नाकाम साबित रहे और नदी के तटीय इलाकों में बसे लोगों को भीषण पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ा तो नागरिकों ने पदयात्रा के माध्यम से इसके सरंक्षण की कवायत शुरू की है देखना होगा कि भीषण गर्मी की तपती धूप में नदी की पदयात्रा के क्या परिणाम सामने आएंगे।
उमरार सरंक्षण एवं जल संवाद पदयात्रा में पूर्णकालिक रूप से स्वामी देव स्वरूपानंद महाराज,संत सुरेंद्र जी,संतोष कुमार द्विवेदी,बाला सिंह टेकाम,फूल सिंह,पवन सिंह,वीरभान यादव,शामिल हैं वहीं अजय भिवनिया,संपत नामदेव,भूपेंद्र त्रिपाठी,विजय जोशी भी पदयात्रा में शामिल रहे।पदयात्रा के संयोजक बाला सिंह टेकाम ने बताया है कि यह यात्रा 20 मई को खैरभार में विशाल जल सम्मेलन के साथ समाप्त होगी।
(ब्यूरो रिपोर्ट)
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