उमरिया - प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की घोषणा के परिपालन में मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा तैयार रामकथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरितों पर आधारित वनवासी लीलाओं का मंचन किया जा रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में सामुदायिक भवन स्कूल परिसर बी ओ कार्यालय बिरसिंहपुर पाली में दो दिवसीय वनवासी लीला कार्यक्रम का जन जातीय कार्य मंत्री सुश्री मीना सिंह ने किया। प्रथम दिन भक्ति मति शबरी का मंचन किया गया। इस अवसर पर अनुविभागीय अधिकारी पाली नेहा सोनी, एसडीओपी जीतेंद्र जाट, तहसीलदार राजेश पारस, नगर पालिका उपाध्यक्ष राम धनी प्रधान, परियोजना अधिकारी पाली मोनिका सिन्हा, जनप्रतिनिधि प्रकाश पालीवाल, सरजू अग्रवाल, बहादुर सिंह, सत्या विश्वकर्मा, राशिद मामू सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जन जातीय कार्य मंत्री सुश्री मीना सिंह ने कहा कि शबरी ने छोटी सी उम्र में श्रीराम के प्रति भक्ति करते हुए उनका दर्शन करने के बाद उन्हें झूठे बेर खिलाएं, जो उनके निस्वार्थ प्रेम का प्रतीक है। वर्तमान में सभी को इस मंचन से प्रेरणा लेना चाहिए। माता शबरी की तरह हमें दूसरों से प्रेम भाव रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सतना से आये कलाकारों के द्वारा भक्तिमति शबरी का अदभुत मंचन प्रस्तुत किया गया है, जो प्रशंसनीय है। कलाकारांे द्वारा दी गई प्रस्तुति से त्रेता युग मे समाहित होने का एहसास प्राप्त हुआ, जो एक बेहद सुखद पल था। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन करके करके किया गया एवं मंचन सतना से आए कलाकारों के द्वारा किया गया जिसकी निर्देशक सविता दाहिया जिला सतना रही।
वनवासी लीला नाट्य भक्तिमति शबरी कथा में बताया कि पिछले जन्म में माता शबरी एक रानी थीं, जो भक्ति करना चाहती थीं लेकिन माता शबरी को राजा भक्ति करने से मना कर देते हैं। तब शबरी मां गंगा से अगले जन्म भक्ति करने की बात कहकर गंगा में डूब कर अपने प्राण त्याग देती हैं। अगले दृश्य में शबरी का दूसरा जन्म होता है और गंगा किनारे गिरि वन में बसे भील समुदाय को शबरी गंगा से मिलती हैं। भील समुदाय शबरी का लालन-पालन करते हैं और शबरी युवावस्था में आती हैं तो उनका विवाह करने का प्रयोजन किया जाता है लेकिन अपने विवाह में जानवरों की बलि देने का विरोध करते हुए, वे घर छोड़ कर घूमते हुए मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंचती हैं, जहां ऋषि मतंग माता शबरी को दीक्षा देते हैं। आश्रम में कई कपि भी रहते हैं जो माता शबरी का अपमान करते हैं। अत्यधिक वृद्धावस्था होने के कारण मतंग ऋषि माता शबरी से कहते हैं कि इस जन्म में मुझे तो भगवान राम के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम जरूर इंतजार करना भगवान जरूर दर्शन देंगे। लीला के अगले दृश्य में गिद्धराज मिलाप, कबंद्धा सुर संवाद, भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग मंचित किए गए। भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग में भगवान राम माता शबरी को नवधा भक्ति कथा सुनाते हैं और शबरी उन्हें माता सीता तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में बताती हैं। लीला नाट्य के अगले दृश्य में शबरी समाधि ले लेती हैं।
(अन्जनी राय की रिपोर्ट)
0 टिप्पणियाँ