✒️अरुण कुमार त्रिपाठी
उमरिया।उमरिया के विश्वविख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथी प्रबंधन को लेकर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ जिसमें विशेषज्ञों सहित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन,कान्हा,संजय टाइगर रिजर्व के अधिकारी जंगली हाथी प्रभावित समीपी जिले शहडोल अनूपपुर,सीधी,डिंडोरी,मंडला एवं कटनी के वन अधिकारी शामिल हुए इसके अलावा चार राज्यों पश्चिम बंगाल,छत्तीसगढ़,झारंखण्ड,कर्नाटक एवं WII के विशेषज्ञों शामिल हुए,दो दिनों तक चले इस मंथनके मध्यप्रदेश के जंगलों में जंगली हाथी प्रबंधन को लेकर विस्तार से चर्चा हुई और जंगली हाथियों के प्रदेश में लंबे समय तक प्रबंधन का खाका तैयार कर सामूहिक सुझाव राज्य सरकार भेजा जाएगा जिसे राज्य वन विभाग शीघ्र लागू करेगा।
प्रदेश के जंगलों में होगा जंगली हाथियों का रहवास।
झारखंड और छत्तीसगढ़ के रास्ते वर्ष 2018 में 38 जंगली हाथी दो अलग-अलग झुंडों के माध्यम से बांधवगढ़ पंहुचे थे ,पूरे उमरिया सहित समीपी जिलों के जंगलों के भ्रमण करने के बाद जंगली हाथियों में बांधवगढ़ को अपने रहवास के रूप में चुन लिया चार सालोंके इनकी संख्या बढ़कर 60 तक जा पंहुची है,इसके अलावा समीपी जिलों शहडोल,अनूपपुर,सीधी,डिंडोरी,कटनी एवं मंडलाके भी जंगली हाथियों में दस्तक दी है,जंगली हाथियों के प्रबंधन को लेकर अनुभवहीन वन अधिकारियों को इनके प्रबंधन के बेहतर गुण सीखने होंगे साथ ही जंगली हाथियों के आवश्यक भोजन पानी का भी जंगलों में विकास करना होगा अन्यथा की स्थित में जंगली हाथी जंगलों से लगे गांवो को अपना निशाना बनाएंगे और मैन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट की स्थित निर्मित होगी जो वन विभाग और बड़ी मशक्कत में डाल सकती है।
जनसहभगिता पर जरूरी।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथी प्रबंधन को लेकर वन्य जीव प्रेमियों द्वारा यह मांग उठाई गई है कि जंगली हाथी प्रबंधन को लेकर बनाई जाने वाली रणनीति में पार्क प्रबंधन को वन विभाग का अमला आम जन को भी शामिल करें और उन्हें भी जंगली हाथी प्रबंधन का हिस्सा बनाये,वन्य जीव प्रेमी नरेंद्र बगड़िया ने कहा है कि वन विभाग बड़ी-बड़ी कार्यशालाएं आयोजित तो कर रहा है लेकिन आमजनता और वन और वन्य जीव प्रमियों को को शामिल कर जंगली हाथी प्रबंधन कि इस मुहिम को और विस्तार दे सकता है।
टाइगर स्टेट का तमगा बचाये रखना और बड़ी चुनौती।
वर्ष 2018 की गणना में प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले सर्वाधिक बाघ 526 पाए गए थे जिसके बाघ मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था जंगली हाथियों का प्रदेश के टाइगर रिजर्वके रहवास बना लेने से बाघ सरंक्षण को भी एक बड़ी चुनौती मिली है वन विभाग अपने सीमित संसाधनों से बाघों के साथ-साथ जंगली हाथियों के प्रबंधन में जुटा है लेकिन लंबे समय के लिए यह कारगर नही होगा प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रखने के लिए जंगली हाथियों के प्रबंधन के लिए रहवास बना चुके जंगलों में एलीफैंट कॉरिडोर बनाना होगा संसाधम मुहैया कराना होगा ताकि जंगली हाथियों का लंबे समय तक प्रबंधन किया जा सके।
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