उमारिया जिले के विश्वविख्यात बाँधवगढ टाइगर रिसर्व के किले पर स्थित भगवान बाँधवधीश मंदिर में इस वर्ष नही लगेगा जन्माष्टमी मेला,कई सदियों से चली आ रही परंपरा पर लगा विराम,जंगली हाथियों की मौजूदगी के कारण पार्क प्रबंधन का निर्णय,
उमारिया जिले के विश्वविख्यात बाँधवगढ टाइगर रिजर्व के किले पर स्थित भगवान बाँधवधीश रामजानकी मंदिर में इस वर्ष परंपरागत रूप से लगने वाला कृष्णजन्माष्टमी का मेला नही आयोजित किया जाएगा,बाँधवगढ टाइगर रिसर्व प्रबंधन ने आदेश जारी करते हुए मेले के आयोजन में इस साल से प्रतिबंध लगा दिया है बता दें बाँधवगढ किले पर स्थित भगवान बाँधवधीश रामजानकी मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर मेले का आयोजन होता रहा है पार्क के मुख्य द्वार से श्रद्धालु पैदल पहाड़ पर चढ़कर मेले में मंदिर के दर्शन पूजा पाठ के लिए पंहुचते रहे हैं कई सदियों से जारी इस परंपरा को पार्क प्रबंधन में कई बार रोकने की कोशिश की लेकिन श्रद्धालुओं के दबाब से इसे रोका नही जा सका लेकिन इस बार जंगली हाथियों की मौजूदगी का हवाला देते हुए पार्क प्रबंधन ने इस साल मेले के आयोजन में रोक लगा दी है,कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर आयोजित होने वाले इस मेले में देश भर के लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेने पंहुचते रहे हैं।क्षेत्र संचालक बीएस अन्नेगिरी ने बताया है जंगली हाथियों का मूवमेंट ताला परिक्षेत्र में एवं मेला क्षेत्र के आसपास के इलाके में हैं मेला आयोजित होने से भारी संख्या में जनसमूह पार्क में प्रवेश करेगा और इससे जंगली हाथी के विचरण में बाधा उत्पन्न होगी लिहाजा मानव वन्य जीव द्वंद की स्थित निर्मित हो सकती है।
बंद होगी सदियों से जारी परंपरा
बांधवगढ़ किले पर स्थित भगवान बाँधवाधीश के मंदिर में भगवान रामजानकी दरबार की प्रतिमा विराजमान है मान्यता है कि किले के निर्माण के समय मंदिर भी बनाया गया है और तभी से कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर यहां मेला का आयोजन होता रहा देश भर के श्रद्धालु मेले में हिस्सा लेने आते और मंदिर में पूजा पाठ करते रहे हैं 1967 में रीवा रियासत के तत्कालीन महाराजा मार्तण्ड सिंह ने किला सहित आसपास का जंगल मध्यप्रदेश वन विभाग को वन्य जीव सरंक्षण के लिए सौंप दिया जिसके बाद मेले का प्रबंधन वन विभाग को मिल गया।कई सदियों से जारी इस परंपरा में इस साल से विराम लग जायेगा।
(ब्यूरो रिपोर्ट)
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