उमरिया-ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के उन्मूलन हेतु सभी विभागों को समन्वय बनाकर कार्य करनें की आवष्यकता है। शासन द्वारा विभिन्न विभागों को विभागीय योजनाओं के माध्यम से बजट उपलब्ध कराया जाता है। कार्य योजना नही होने से इस राशि का उपयोग व्यवस्थित तरीके से नही हो पाता है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत इला तिवारी ने ग्रामीण गरीबी उन्मूलन के कार्य योजना तैयार करनें संबंधी बैठक की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन हेतु गैप की पहचान करें तथा उन गैप को पूरा करने हेतु ग्रामवार कार्य योजना तैयार करें । आपनें कहा कि विभागीय मद का भी उपयोग कार्य योजना के अनुरूप किया जाना चाहिए। जिन विभागों के पास राशि उपलब्ध नही है उन विभागों को एकीकृत कार्य योजना के माध्यम से राशि भी उपलब्ध कराई जा सकती है। आपनें कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों का समुचित विकास होने पर केंद्र सरकार द्वारा 50 लाख रूपये का पुरस्कार भी दिया जाात है। यह एक बड़ी राषि है जिसकी मदद से संबंधित ग्राम का समग्र विकास संभव है।
ग्रामीण आजीविका परियोजना के जिला समन्वयक प्रमोद शुक्ला ने बताया कि शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों मे ंनिवासरत 85 हजार परिवारों को विभिन्न विभागों के माध्यम से संचालित 21 तरह की योजनाओं का शत प्रतिषत लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए एकीकृत एप्रोच कार्य योजना की जरूरत होगी। आजीविका हेतु पषु पालन, उद्यानिकी, कृषि, मत्स्य पालन आदि विभागों को मिलकर कार्य करने की आवष्यकता है। इसी तरह अधोसरंचना विकास हेतु लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा, जल संसाधन , विद्युत विभाग, पीआईयू, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग को मिलकर कार्य योजना बनानी होगी तथा उसका क्रियान्वयन करना होगा। सामाजिक विकास के लिए षिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग, खाद्य विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग पंचायत एवं समाजिक न्याय विभाग को संबंधित कार्य योजना तैयार करनें की जरूरत है। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा उन महिलाओं के लिए भी कार्य योजना तैयार की जा रही है जो अभी स्व सहायता समूहों से नही जुड़ी है। ग्रामवार कार्य योजना तैयार कर स्व सहायता समूहों की बैठक क्लस्टर एप्रोच, बैठक के पष्चात ग्राम सभा से अनुमोदन कर कार्य योजना तैयार की जाएगी तथा शासन को प्रेषित की जाएगी।
(अन्जनी राय की रिपोर्ट)
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