उमरिया-कलेक्टर कृष्ण देव त्रिपाठी ने बताया कि 23 नवंबर को धुपखड़ा, खम्हा, चौरहा, मझगवां, खम्हरियाखुर्द, चाका, हथपुरा, मालाचुआ, औढे़रा में ग्राम सभा का आयोजन किया गया।
ग्राम सभा के दौरान बताया गया कि जल, जंगल, जमीन, श्रमिक, परंपराएं एवं संस्कृति ये पेसा नियमों का पंचामृत है। 15 नवंबर से ये नियम पूरे मध्यप्रदेष मे लागू हो गये है। पेसा एक्ट की पांच प्रमुख बाते जमीन आपकी, जल आपका, जंगल आपके, श्रमिकों के अधिकारों का विषेष ध्यान और स्थानीय संस्थाओं, पंरपराओं और संस्कृति का संरक्षण संवर्धन है।
ग्राम सभा के दौरान बताया गया कि पेसा एक्ट का पहला अधिकार है जमीन का गांव की जमीन के और वन क्षेत्र के नक्शा, खसरा, बी-1 आदि ग्राम सभा को पटवारी और बीट गार्ड हर साल उपलब्ध कराएंगे। यदि राजस्व अभिलेखों में कोई गलती पाई जाती है तो ग्राम सभा को उसमें सुधार के लिए अपनी अनुशंसा भेजने का पूरा अधिकार होगा। अधिसूचित क्षेत्रों में बिना ग्राम सभा की सहमति के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गाँव की जमीन का भू- अर्जन नहीं किया जाएगा। गैर जनजातीय व्यक्ति या कोई भी अन्य व्यक्ति छल-कपट से, बहला-फुसलाकर, विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने या खरीदने की कोषिष करें तो ग्राम सभा इसमें हस्ताक्षेप करेंगी। अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अनुषंसा के बिना पर खनिज के पट्टे, पट्टा, देने या नीलामी की कार्यवाही नही की जा सकेगी। पेसा एक्ट का दूसरा अधिकार है जल का । गांव के तालाबों का प्रबंधन अब ग्राम सभा करेगी। 100 एकड़ तक की सिंचाई क्षमता के तालाब और जलाशय का प्रबंधन संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा किया जाएगा। पेसा एक्ट में तीसरा अधिकार है जंगल का। इसी तरह श्रमिक एवं परंपराएं तथा संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई।
(अन्जनी राय की रिपोर्ट)
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