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झोरझरा बाघिन शावकों के साथ |
मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन सरंक्षक भोपाल सीके पाटिल को उमरिया जिले के मानपुर न्यायालय में विचाराधीन परिवाद मामले में सुनाई गई तीन साल की सजा,तत्कालीन डायरेक्टर बाँधवगढ सीके पाटिल सहित एक एसडीओ और दो रेंजरों को न्यायालय ने सुनाई सजा,वर्ष 2012 में बहुचर्चित झोरझरा वाली बाघिन की मौत मामले में जांच के दौरान अपने ही कर्मचारी के ऊपर दबाब बनाकर झूठी गवाही दिलाने के प्रयास का मामला।
उमरिया।बाँधवगढ टाइगर रिसर्व के पूर्व क्षेत्र संचालक एवं प्रधान मुख्य वनसरंक्षक(सरंक्षण)मध्यप्रदेश सीके पाटिल को उमरिया जिले के मानपुर व्यवहार न्यायालय द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले में दायर परिवाद में दोषी मानते हुए तीन वर्ष के कारावास और पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है,फरियादी मान सिंह वाहन चालक द्वारा बाँधवगढ टाइगर रिसर्व के तत्तकालीन क्षेत्र संचालक सीके पाटिल,एडसीओ डीसी घोरमारे,एवं दो रेंजरों के ऊपर बाघिन हत्याकांड मामले में झूठी गवाही देने के लिए दबाब बनाने का आरोप लगाते हुए वर्ष 2012 में न्यायालय में परिवाद दायर किया था,पीड़ित मान सिंह के पत्नी के द्वारा इसी मामले में हाइकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका भी लगाई गई थी,बता दें बाँधवगढ टाइगर रिसर्व में वर्ष 2010 के मई माह में झोरझरा वाली बाघिन की वाहन से दुर्घटना होने पर मौत हो गई थी जिसकी जांच के दौरान उपरोक्त वन अधिकारियों द्वारा वाहन चालक मान सिंह के साथ मारपीट एवं प्रताड़ित करते हुए झूठी गवाही देकर उनके मनमाफिक लोगों को बाघिन हत्या का दोषी बताने का दबाब मनाया गया था,जिसका परिवाद पीड़ित मान सिंह ने अधिवक्ता के जरिये न्यायालय में पेश किया और दस साल चली सुनवाई के बाद 16 दिसंबर दिन शुक्रवार को सतीश शुक्ला न्यायाधीश व्यवहार न्यायालय मानपुर द्वारा आरोपी अधिकारियों को आईपीसी की धारा 195 ए और 343 में दोषी करार देते हुए तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर सीके पाटिल को तीन वर्ष के कारावास,पांच हजार रुपये का अर्थदंड एवं एसडीओ सहित रेंजरों को छह छह माह के कारावास एवं पांच सौ रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई है,पीड़ित वाहन चालक मान सिंह की ओर से विद्वान अधिवक्ता अशोक वर्मा ने पूरे तथ्यों के साथ न्यायालय में जिरह बहस की जिसके परिणामस्वरूप आरोपियों को सजा सुनाई गई है।
क्या है पूरा मामला
बाँधवगढ टाइगर रिसर्व में साल 2010 में 18 मई की सुबह पर्यटकों ने पार्क भ्रमण के दौरान प्रबंधन को ये जानकारी दी कि झोरझरा नाले के समीप एक बाघिन पर्यटक जिप्सियों के ऊपर चार्ज कर रही है और घायल अवस्था मे है जिसके बाद पार्क अमला सक्रिय हुआ मौके पर पंहुचा और प्राथमिक उपचार की तैयारी करते करते चोटिल बाघिन की मौत हो गई,बाद में मृत बाघिन की पहचान झोरझरा वाली बाघिन के रूप में हुई जिसके तीन शावक भी थे,घटना की जानकारी के बाद पार्क अमला सक्रिय हुआ और जांच की कार्यवाही आरम्भ की गई,प्रबंधन की जांच में शक की सुई वाहन चालक मान सहित अन्य के ऊपर घूमी,प्रबंधन ने संदेही मान सिंह से कड़ाई से पूछताछ शुरू की जिसके बाद मान सिंह की पत्नी ने उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण ली और बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका लगाते हुए मान सिंह को सामने लाने की गोहार लगाई,उच्च न्यायालय ने पत्नी की पीड़ा को सुनते हुए तत्काल वन अधिकारियों को फटकार लगाई और मान सिंह को सामने लाने का आदेश पारित किया इस मामले में उच्च न्यायालय ने वन विभाग के ऊपर मान सिंह को एक लाख रुपये आर्थिक हर्जाने का भी आदेश दिया था,जिसके बाद साल 2012 में मान सिंह ने अपने ऊपर हुई प्रताड़ना के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद दायर कर न्याय की गोहार लगाई थी जिस पर मानपुर व्यवहार न्यायलय ने सुनवाई करते हुए दस साल बाद शुक्रवार 16 दिसंबर 2022 को अपना फैसला सुनाया और वन अधिकारियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।
क्या कहा पीसीसीएफ सीके पाटिल ने
सजा सुनाए जाने के बाद सीके पाटिल में कहा है हम न्यायालय के फैसले और संविधान का सम्मान करते हैं,हमने बाघिन की मौत के कारणों की जांच शुरू की थी और बाघिन के हत्यारे आरोपी अभी भी नही पकड़ाए हैं मामले को जांच से भटकाने हम पर आरोप लगाए गए हैं हम बड़ी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
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