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जोधईया बाई को मिला पद्म श्री पुरुष्कार,जिला हुआ गौरवान्वित।



उमरिया जिले के 83 वर्षीय बैगा आर्टिस्ट जोधईयाबाई को मिला पद्मश्री अवार्ड,ग्राम लोढ़ा निवासी बुजुर्ग चित्रकार ने 70 साल में पकड़ी थी कूची,चित्रकार स्व.आशीष स्वामी के निर्देशन में बैगा आर्ट को पहली बार देश मे उमारिया जिले से मिला स्थान,मशहूर चित्रकार स्व आशीष की मेहनत लाई रंग।




उमरिया।जिले के ग्राम लोढ़ा स्थित जनगण तस्वीर खाना की मशहूर 83 वर्षीय बुजुर्ग चित्रकार जोधईया बाई को केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए पद्मश्री के नामांकित किया है यह खबर उमरिया जिले सहित देश भर के बैगा आदिवासियों के रोमांचित कर देने वाली है कि की कला के क्षेत्र में पहली बार बैगा कला को देश का इतना  बड़ा सम्मान मिलने जा रहा है,जिसकी स्थापना जनगण तस्वीर खाना के रूप में मशहूर चित्रकार स्व.आशीष स्वामी ने की थी।

ऐसे हुई बैगा चित्रकला की शुरुआत 
मशहूर चित्रकार स्व.आशीष स्वामी




डिंडोरी जिले के पाटन गढ़ को गोंड आर्ट के जनक माना जाता है जिसकी शुरुआत मशहूर गोंड आर्टिस्ट स्व जनगण सिंह श्याम ने की थी,चित्रकार आशीष स्वामी ने बैगा जनजातीय चित्रकला को गोंड पेंटिंग की तर्ज पर जनगण तस्वीर खाना से बैगा आर्ट की शुरुआत करने का फैसला किया और अपने गृह जिले उमरिया के ग्राम लोढ़ा में वर्ष 2008 में जनगण तस्वीर खाना की स्थापना कर गुरु शिष्य परम्परा के अनुसार बैगा जनजातीय समुदाय की महिलाओं को चित्रकला सीखाने किं शुरुआत की उसी दौरान 70 वर्षीय असहाय जोधाईया बाई की गरीबी  को देखते हुए चित्रकार आशीष स्वामी ने उसे चित्रकला की ओर प्रेरित किया जोधईया बाई ने उनकी बात मानते हुए पहली बार कूची पकड़ी इसके अलावा दर्जनों बैगा महिलाओं ने भी चित्रकला का प्रशिक्षण लेना शुरू किया इस प्रकार पहली बार बैगा चित्रकला अस्तित्व में आई,जिसमें बुजुर्ग चित्रकार जोधईया बाई समेत बैगा समाज के कई लोग शामिल होकर चित्रकला के क्षेत्र में अपना नाम देश विदेश में कमा चुके हैं।

देश विदेश में लग चुकी है जोधईया बाई के चित्रों की प्रदर्शनी

ख्यातिलब्ध बुजुर्ग चित्रकार जोधाईया बाई की चित्रकला का डंका देश ही नही विदेशों में भी बज चुका है,दुनिया भर में चित्रकला का गढ़ माने जाने वाले इटली के मिलान शहर में भी जोधाईया बाई के बनाये चित्रों की प्रदर्शनी लग चुकी है,इसके अलावा,फ्रांस,ब्रिटेन,अमेरिका सहित देश के कई बड़े शहरों में जोधईया बाई अपने हुनर का प्रदर्शन पेंटिंग के रूप में कर चुकी हैं।

राष्ट्रीय पुरुषकारों से सम्मनित हो चुकी हैं जोधईया बाई

चित्रकार जोधाईया बाई की उत्कृष्ट कला और बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें कई राष्ट्रीय मंचो से सम्मनित किया जा चुका है वर्ष 2021-22 में जोधाईया बाई को राष्ट्रपति के द्वारा राष्ट्रीय नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है,अब पद्मश्री मिलने से वह काफी उत्साहित हैं।

संघर्षों से भरा रहा जीवन।


जोधाईया बाई का जीवन जन्म के बाद से ही संघर्षों से भरा रहा है जन्म लेने के कुछ दिन बाद पिता की मृत्यु हो गई,उसके बाद उनका लालन-पालन बड़े भाई ने किया कम उम्र में शादी हो गई और विवाद के कुछ वर्षों बाद पति के देहांत हो गया,जिसके बाद वे अपने बच्चों के साथ मायके में आकर रहना शुरू कर दिया,जोधाईया बाई मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रही थी इसी दौरान वर्ष 2008 में उनकी मुलाकात चित्रकार आशीष स्वामी से हुई और उन्होंने जोधईया बाई को चित्रकला की ओर प्रेरित किया।

कौन हैं चित्रकार स्व.आशीष स्वामी।


मशहूर चित्रकार आशीष स्वामी उमरिया जिले के निवासी हैं,शांति निकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल से उन्होंने चित्रकला में स्नातक और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली से फाइन आर्ट में पीजी करने के बाद दिल्ली और बम्बई जैसे बड़े शहरों में चित्रकारी करते रहे,आशीष स्वामी ने काफी समय तक गोंड पेंटिंग के जनक स्व जनगण सिंह श्याम के साथ काम किया देश के कई नामी गिरामी चित्रकार,कलाकार,साहित्यकार,टीवी और फ़िल्म जगत से जुड़ी हस्तियों के साथ भी काम किया है,बैगा जनजातीय कला को स्थापित करने उसे पहचान दिलाने के उद्देश्य से आशीष स्वामी ने महानगरों की चकाचौंध छोड़कर वर्ष 2008 में अपने गृह जिले उमारिया का रुख किया और ग्राम लोढ़ा में जनगण तस्वीर खाना से इसकी शुरुआत की है वर्तमान में जनगण तस्वीर खाना का संचालन उनके भतीजे निमिष स्वामी कर रहे हैं।
(ब्यूरो रिपोर्ट)




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