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देखिये ख़स से बनी खास टोपी,भीषण गर्मी में धूप से करेगी बचाव।



बाँधवगढ टाइगर रिज़र्व में कार्यरत सुरक्षा श्रमिक ने खस से बनी खास टोपी का किया ईजाद,भीषण गर्मी में सर को धूप और तपन से बचाने कारगर साबित हो रही टोपी,प्रदेश के वनमंत्री ने सुरक्षा श्रमिक की इस कला को बैगा समुदाय के आर्थिक लाभ से जोड़ने उठाया बीड़ा,ख़स की टोपी निर्माण प्रशिक्षण और संसाधन मुहैया कराने के लिए 50 हजार के आर्थिक सहयोग दिए जाने की घोषणा की।


उमरिया।गर्मी का मौसम आते ही घरों में कूलर की साफसफाई और उसके इस्तेमाल का दौर शुरू हो जाता है लेकिन क्या आपको मालूम है कि कूलर इतनी ठंडी हवा कैसे देता है नही तो हम आपको बता देते हैं कि कूलर द्वारा ठंडी हवा दिए जाने के पीछे का राज क्या है क्योंकि कूलर के तीन ओर ख़स जो एक विशेष प्रकार के पेड़ की जड़ होती है लगा होता है और इसमें जब पानी छिड़का जाता है तो यह पंखे के द्वारा फेंकी जाने वाली हवा को शीतल और ठंडी कर देता है,ख़स के इस्तेमाल से ठंडी हवा के यंत्र को जब बाँधवगढ टाइगर रिसर्व में कार्यरत कर्मचारी बलीराम बैगा ने देखा तो उसे एक उपाय सुझा और उसने जंगल में पेड़ो की जड़ो को खोदकर ख़स निकाली और भीषण गर्मी में धूप और तपन से सिर की सुरक्षा के लिए काफी मशक्कत के बाद एक टोपी बना डाली,
इस टोपी की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से हर्बल उत्पात से निर्मित है और सर् में लगाने के बाद मस्तिक में शीतलता प्रदान करती है।

वन मंत्री ने दिया प्रोत्साहन।



श्रमिक बलीराम के द्वारा गर्मी से बचाव के लिए बनाई गई टोपी को बाँधवगढ दौरे पर आए वन मंत्री विजय शाह ने भी देखा और इस हस्तनिर्मित टोपी को जनजातीय समुदाय के आर्थिक सशक्तिकरण का जरिया बनाने के निर्देश दे दिए साथ ही ख़स से बनी टोपी बनाने के लिए पचास हजार रुपये के आर्थिक अनुदान सहित बाँधवगढ आने वाले देशी विदेशी पर्यटकों को बिक्री के लिए उपलब्ध कराने हेतु बाँधवगढ में ही काउंटर खोलने के निर्देश दिए हैं।

जनजातीय कला का अनुपम उदाहरण।



सुरक्षा श्रमिक बलीराम के द्वारा बनाई गई हैंडीक्राफ्ट टोपी जिले में समृद्ध जनजातीय कला का उत्कृष्ट उदाहरण है और बताता है कि किस तरह आदिवासी समाज प्रकृति के प्रकोप से प्रकृति में उपलब्ध संसाधनों से ही स्वयं का बचाव करते रहे हैं और यही वजह भी है कि वन मंत्री सहित टाइगर रिजर्व प्रबंधन ख़स से बनी इस खास टोपी को देश विदेश तक पंहुचाने के प्रयास में जुट गया है।
(ब्यूरो रिपोर्ट)
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