शहर के कई बस्तियों में संचालित दूध डेरियों से स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खुले मैदानों में पड़े गोबर के ढेरों में मच्छरों के साथ-साथ अनेकों बीमारियां पनप रहीं हैं। इनको शहर से हटाने की बात तो दूर की बात, नगर पालिका अब तक शहर में संचालित दूध डेरियों की सूची तक तैयार नहीं कर पाया है, शहर में अवैध तरीके से संचालित हो रही दूध डेरियों को शहर सीमा से बाहर नहीं किया जा सका है, जबकि इसकी जिम्मेदारी शासन ने नगर पालिका के साथ-साथ जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन को कई साल पहले दी गई थी। महीनों और साल बीतने के बाद भी प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शहर में संचालित समस्त डेरियों को शहर सीमा से बाहर करने के लिए शासन ने कई साल पहले समय दिया था। लापरवाही बरतने पर लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा था। लेकिन कहा है वह चेतावनी भरा आदेश कहा धूल खा रही फाइल इसके बारे में जिला प्रशासन के मुखिया इस और ध्यान ही नहीं दे पा रहे है, और यदि उसने इस मसाले में बात की जाए तो वे सिर्फ दोबारा लिखित शिकायत का इंतज़ार कर रहे है की कोई उन्हे इस मामले में इलाखित शिकायत दे लेकिन वे पूर्व में की गई कार्यवाही व पूर्व में किए गए आदेशों की फाइल खोजवाने की कोशिश तक नही कर रहे है। जो की नगर निगम प्रशासन के पास इस मामले पर सभी जानकारियां मौजूद है। शहर के लगभग कई मुहल्लों में दूध डेरियों का संचालन किया जा रहा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में संचालित हो रही दूध डेरियों के स्वामियों द्वारा गाय व भैंसों का गोबर तबेले के ही आस-पास खाली पड़े खुले मैदानों में फेंक दिया जाता है। नगर पालिका के सफाई कर्मचारी भी इस गोबर का उठान नहीं करते हैं, जिससे यह ऐसे ही पड़ा रहता है जिससे मच्छरों से साथ कई बीमारियां भी पनपने लगती हैं।
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