उमरिया।मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा तैयार रामकथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरितों पर आधारित वनवासी लीलाओं क्रमशः भक्तिमती शबरी और निषादराज गुह्य एवं गोंड जनजातीय आख्यान रामायनी केंद्रित लछमन चरित की प्रस्तुतियां दी जा रही हैं।
तीसरे दिन विधायक बांधवगढ़ षिवनारायण सिंह की उपस्थिति में लछमन चरित्र की प्रस्तुति प्रारंभ हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन कर किया गया। इस अवसर पर जनप्रतिनिधि, पत्रकार गण सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
तीसरे दिन लछमन चरित की प्रस्तुति दी गई। हमारी संस्कृति और जीवन धारा का प्रत्येक ताना-बाना भगवान श्रीराम की कथा से बुना हुआ है। हमारे सामाजिक मूल्य में ऐसा कुछ भिन्न नहीं, जो श्रीरामकथा से प्रेरित न हो। श्रीरामकथा की व्यापकता और जड़े इतनी गहरी हैं कि भारत के अलग-अलग भागों में निवासरत वनवासी समुदायों ने इस कथा को अपने अनुभव और आस-पास के प्रतीकों से समृद्ध कर गढ़ा गया और अपने जीवन का मूल्य बनाया। हम यहाँ मध्यप्रदेश के गोण्ड वनवासी समुदाय की कथा रामायनी को लीला नाट्य रूप में देखा। यह लीला कई मायनों में बहुत प्रेरणास्पद है। खासकर इस लीला के महानायक है लछमन यती यानी तपस्वी लक्ष्मण। इस कथा में लक्ष्मण के संकल्प और उसे पूरा करने की उनकी इच्छाशक्ति को दृढ़ता के साथ दिखाया गया । इस लीला में भगवान श्रीराम के मदद मांगने पर पांडवों का उपस्थित होना कोई कालगत त्रुटि नहीं हैं। वनवासी की काल समझ में कुछ भी व्यतीत होने जैसा नहीं है। समय एक रेखा में न होकर वृत्त में है। यह हमें समझना है।
(अंजनी राय की रिपोर्ट)
0 टिप्पणियाँ