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मुराद पाकर मालामाल हुये जायरीन

 

बाबा हुजूर की सवारी में उमड़ा जन सैलाब

उमरिया -मोहर्रम का पर्व जिले सहित , मानपुर, चंदिया, पाली , नौरोजाबाद में भाईचारे एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाया गया। इस अवसर पर इमामबाड़ा उमरिया बाबा हुजूर की तशरीफ आमद हुई । बाबा हुजूर की सवारी मुरादगाह स्थल पहुंची जहंा मुरादियों को बाबा हुजूर के द्वारा मुराद बांटी गई। उसके बाद जामा मस्जिद में बाबा हुजूर ने जियारत की ।  बाबा हुजूर के चाहने वालों ने  उमरिया वाले बाबा हुजूर का दीदार कर मन ही मन अपनी एवं अपने परिवार के लिये खैर मकदम की दुआएं मांगी। जगह-जगह अपनी नजरे इनायत करते हुये बाबा हुजूर जामा मस्जिद से होते गांधी चौक पहुंचे जहंा पर बड़ी संख्या में जायरीनों ने बाबा हुजूर का दीदार किया । उसके बाद बाबा हुजूर खलेसर से होते हुए स्थानीय कर्बला घाट पहुंचे जहंा बाबा हुजूर की सवारी ठण्डी हुई। उनके साथ साथ चल रहे अकीदतमंद जन सैलाब के हक में बाबा हुजूर ने खैर मकदम की दुआएं की। बाबा हुजूर ने अपनी तकरीर से लोगो को खुदा की इबादत कर सबसे पहले नेक इंसान बनो एवं नफरत करने वालो को ताकीद किया। बाबा हुजूर की सवारी में बड़ी संख्या में जायरीन साथ में चल रहे थे। स्थानीय गांधी चौक में बाबा हुजूर की सवारी के दौरान लोग स्थानीय दुकानों की छतो, मार्ग पर खड़े हुए थे, जो बाबा हुजूर की एक झलक पाने के लिए आतुर दिखाई दिए । इस दौरान जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के द्वारा समुचित व्यवस्था के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। 

ताजियो का किया गया कर्बला घाट में विसर्जन 

मोहर्रम पर्व के अवसर पर जिले में विभिन्न प्रमुख स्थानों पर ताजिया रखी गई थी जो बाबा हुजूर की सवारी के साथ साथ ताजिया भी निकाली गई । जो बाबा हुजूर की सवारी के साथ चल रही थी। ताजिया विभिन्न मार्गो से होते हुए स्थानीय कर्बला घाट में किया गया। मोहर्रम के आखिरी दिन स्थानीय इमामबाड़े में दसवें दिन भी शेरो ने हाजिरी लगाई। इसके बाद गली गली जाकर उन्होनें शेर डांस किया तथा बाबा हुजूर की सवारी उठने के पहले शेर ठण्डें हो गये। मोहर्रम के दसवे दिन भी शेर बनकर स्थानीय इमाम बाडे में हाजिरी लगाई गई, जो बाबा हुजूर की सवारी से उठने के पहले ठण्डे हो गयें। 


सोमवार को मनेगा तिजमा

मोहर्रम के बाद तिजमा का पर्व सोमवार को मनाया जाएगा। इस अवसर पर स्थानीय कर्बला घाट में मेले का आयोजन किया जाएगा। जहां बाबा हुजूर गाजे बाजे के साथ खलेसर होते हुए कर्बला घाट पहुंचेगे एवं कार्यक्रम संपन्न होने के बाद बाबा हुजूर कैंप होते हुए पुनः इमामबाड़ा पहंुचेगे। विदित हो कि तिजमा के पर्व पर भी बाबा हुजूर के साथ उनके चाहने वाले बड़ी संख्या में उनके साथ चलते है । 

कौमी एकता का प्रतीक है मोहर्रम का पर्व  

विदित हो कि उमरिया जिले में सभी त्यौहार को आपसी भाईचारे के साथ मनाने की परंपरा रही है। उसी परिप्रेक्ष्य में मोहर्रम का पर्व भी उमरिया जिले में कौमी एकता का प्रतीक के साथ मनाया जाता है । मोहर्रम के इस पर्व में मुस्लिम भाईयों के साथ साथ हिंदू धर्मावलंबियों के लोग भी इसमें शामिल होते है । इसके साथ ही बाहर के जिलो से भी कई जायरीन मोहर्रम का पर्व देखने उमरिया पहुंचते है और बाबा हुजूर की सवारी में शामिल होते है। 

(अंजनी राय की रिपोर्ट)

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