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प्रधानमंत्री ने "मन की बात में" शहडोल संभाग में फुटबाल क्रांति एंव जल क्रांति अभियान की, की सराहना

 


उमरिया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में शहडोल में कमिश्नर शहडोल संभाग श्री राजीव शर्मा की पहल पर चलाई जा रही फुटबाल क्रांति एवं जल क्रांति अभियान की सराहना की तथा इससे प्रेरणा लेने की बात कही।  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने "मन की बात कार्यक्रम" में शहडोल  संभाग में जल संवर्धन और संरक्षण के लिए किये जा रहे  प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि मै कुछ समय पहले  मध्य प्रदेश के शहडोल ग्राम पकरिया गया था। उन्होंने कहा कि हमारे देशवासी पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ जल संरक्षण के लिए नए-नए प्रयास कर रहे हैं। कुछ समय पहले मैं मध्यप्रदेश के शहडोल गया था, वहां मेरी मुलाकात पकरिया गांव के जनजातीय भाई-बहनों से हुई थी। वहीं पर मेरी प्रकृति और पानी बचाने के लिए चर्चा भी हुई। मुझे पता चला कि पकरिया गांव के जनजातीय भाई -बहनों ने इसे लेकर काम भी शुरू कर दिया है । यहां प्रशासन की मदद से लोगों ने करीब 100 कुओं को वाटर रिचार्ज सिस्टम में बदल दिया है। बारिश का पानी अब इन कुओं में जाता है और कुओं से पानी जमीन के अंदर चला जाता है इससे इलाके में भू-जल स्तर भी धीरे-धीरे सुधरेगा। अब सभी गांव वालों ने पूरे क्षेत्र में करीब-करीब 800 कुओं को रिचार्ज के लिए उपयोग में लाने का लक्ष्य बनाया है।

 "मन बात की बात कार्यक्रम" में शहडोल संभाग की फुटबाल क्रांति के संबंध में उन्होंने कहा कि जब बात ड्रग्स और युवा पीढ़ी की हो रही हो तब मैं आपको मध्य प्रदेश की इस्पेयरिंग जर्नी के बारे में बताना चाहता हूं ये इस्पेयरिंग जर्नी है मिनी ब्राजील की। आप सोच रहे होंगे कि मध्यप्रदेश में मिनी ब्राजील कहां से आ गया यही तो ट्विस्ट है । मध्यप्रदेश के शहडोल में एक गांव बिचारपुर है। बिचारपुर को मिनी ब्राजील कहा जाता है। मिनी ब्राजील इसलिए क्योंकि यह गांव आज फुटबॉल के उभरते सितारों का गढ़ बन गया है। जब कुछ हफ्ते पहले शहडोल गया था तो मेरी मुलाकात वहां के ऐसे बहुत सारे फुटबॉल खिलाड़ियों से हुई थी। मुझे लगा इसके बारे में हमारे देशवासियों को और खासकर युवा साथियों को जरूर जानना चाहिए। साथियों बिचारपुर गांव मिनी ब्राजील बनने की यात्रा दो ढाई दशक पहले शुरू हुई थी। उस दौरान बिचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था, नशे की लिफ्त से इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहां के युवाओं को हो रहा था। एक पूर्व नेशनल प्लेयर और कुछ रईस अहमद ने इन युवाओं की प्रतिभा को पहचाना। रईस के पास संसाधन ज्यादा नहीं थे, लेकिन उन्होंने पूरी लगन से युवाओं को फुटबॉल सिखाना शुरू किया। कुछ साल के भीतर ही वहां फुटबॉल इतनी पॉपुलर हो गई कि बिचारपुर गांव की पहचान ही फुटबॉल से होने लगी, अब वहां फुटबॉल क्रांति के नाम से एक प्रोग्राम भी चल रहा है इस प्रोग्राम के तहत युवाओं को खेल से जोड़ा जाता है और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। यह प्रोग्राम इतना सफल हुआ है कि बिचारपुर से नेशनल और स्टेट लेवल के 40 से ज्यादा खिलाड़ी निकले हैं। यह फुटबॉल क्रांति धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है। शहडोल और उसके आसपास के काफी बड़े इलाके में 1200 से ज्यादा फुटबॉल क्लब बन चुके हैं। यहां से बड़ी संख्या में ऐसे खिलाड़ी निकल रहे हैं जो नेशनल लेवल पर खेल रहे हैं। फुटबॉल के कई बड़े पूर्व खिलाड़ी और कोच आज यहां युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं। अब सोचिए एक आदिवासी इलाका जो अवैध शराब के लिए जाना जाता था नशे के लिए बदनाम था और अब वह देश की फुटबॉल नर्सरी बन गया है। इसीलिए तो कहते हैं कि जहां चाह वहां राह, हमारे देश में प्रतिभाओ की कमी नहीं है जरूरत है उन्हें तलाशने और तराशने की। इसके बाद यही युवा देश का नाम रोशन भी करते हैं और देश के विकास में दिशा भी देते हैं।

(अंजनी राय की रिपोर्ट)

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