बाँधवगढ में बाघ के हमले से चरवाहे की मौत के बाद उबाल में ग्रामीण,शव रखकर कर रहे प्रदर्शन,हजारों की संख्या में लोग मौजूद,गुरुवार को ग्राम मझखेता में चरवाहे युवक को बाघ ने उतारा मौत के घाट,तीन माह में अब तक तीन की मौत,दो घायल।
उमारिया। जिले के विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मानपुर बफर पर क्षेत्र अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र से लगी जंगल में इसके बाद मझखेता सहित आसपास के आधा दर्जन गांबो के लोगों ने मौके पर शव रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया,शुक्रवार की सुबह से लेकर दोपहर तक हजारों की तादात में ग्रामीण घटनास्थल पर जूट गए और शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
बीते तीन माह में बाघ के हमले से हुई घटनाएं
1)-2 अप्रैल 2023 अनुज बैगा निवासी-बिजौरी(death)
13 जुलाई 2023बिसरती बैगा पति फूलशाह(घायल)
21 जुलाई 2023 रामशरण बैगा निवासी बड़खेरा(घायल)
23 जुलाई 2023 अजय बैगा पिता मंगल बैगा निवासी मझखेता(death)
17 2023 अगस्त राजबहोर सिंह गोंड़ शिवभजन(death)
भय का माहौल
बाँधवगढ में बढ़ी बाघों की संख्या इंसानी बसाहट के लिए खतरनाक साबित हो रही है,चार मौतों के बाद इलाके में भय और आक्रोश दोनों है,ताजा मामला 17 अगस्त का है जब इसी इलाके के कम्पार्टमेंट 456 में मवेशी चराने गए राजबहोर के ऊपर बाघ ने हमला कर मौत के घाट उतार दिया जिसके बाद हजारों लोग शव रखकर आंदोलन कर रहे हैं,ग्रामीणों की मांग है कि मृतक के परिजनों को पचास लाख रुपये मुआवजा सहित इलाके में तार फेंसिंग कराई जाए।
शुरू हुआ राजनीतिकरण
ग्राम मझखेता में बाघ के हमले से चरवाहे की मौत के बाद दूसरे दिन मौके पर जहां हजारों की संख्या में ग्रामीण एकत्रित हैं वहीं घटना को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है,मौके पर कांग्रेस एकता परिषद और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के लोग पंहुचे हैं और वन विभाग सहित शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी चल रही है।
इंसानी दखल के लिए सुरक्षित नही कम्पार्टमेंट 356।
जिले के विश्वप्रसिद्ध बाँधवगढ टाइगर रिसर्व का कम्पार्टमेंट नंबर 356 जानलेवा है,बीते तीन महीने में हुई घटनाओं ने ये साबित किया है कि इंसानी दखल के लिए यह जगह सुरक्षित नही,17 अगस्त को राजबहोर गोंड,22 जुलाई को अजय बैगा और पूर्व के अप्रैल माह में एक की मौत से इस इलाके में दहशत और आक्रोश बना हुआ है,यह इलाका बाँधवगढ टाइगर रिजर्व के दो कोर और एक बफर परिक्षेत्र से घिरा है,और जंगल के सबसे खतरनाक वन्य जीव बाघ की मौजूदगी वाला इलाका है लिहाजा यहां इंसानी दखल उनको मौत का सबब बन रहा है।
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