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जंगली हाथियों से धान की फसल बचाने जान की बाजी।


जंगली हाथियों से धान की फसल को बचाने जान की बाजी,बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लगे गांव का गढ़पुरी का मामला,प्रबंधन की अनदेखी से सांसत में ग्रामीणों की आजीविका और जान।



उमरिया के विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सीमा पर बसे सैकड़ो गांव के ग्रामीण जंगली हाथियों की दहशत से भारी मशक्कत का सामना कर रहे हैं ताजा मामला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की कोर एरिया पर बसे ग्राम गढ़पुरी का है जहां के किसान बुधवार-गुरुवार की दरिमियानी रात अपनी धान की फसल को जंगली हाथियों से बचाने के लिए आधी रात लाठी डंडे लेकर और जान को हथेली पर रखकर घरों से निकलकर खेतों की ओर जा रहे हैं और खेतों की तकवारी कर रहे हैं जंगली हाथियों से अगर ग्रामीणों का वास्ता हुआ तो स्थिति खतरनाक हो सकती है बावजूद इसके ग्रामीणों को अब अपनी फसल के अलावा किसी और की परवाह नहीं है शायद अपने जान की भी नहीं,प्रबंधन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है प्रबंधन की अनदेखी का ही नतीजा है कि ग्रामीण जान पर खेलते हुए अपनी फसल को बचाने पर अमादा हैं बता दें टाइगर रिजर्व में बीते वर्ष 2018 से जंगली हाथियों ने अपना रहवास बना लिया है और अब इनकी संख्या बढ़ते हुए एक सैकड़ा के ऊपर हो चुकी है जो टाइगर रिजर्व की अलग-अलग क्षेत्र में झुंड बनाकर विचरण कर रहे हैं खास बात यह है की टाइगर रिजर्व की कर एवं बफर सीमा में 105 गांव आबाद हैं और ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य साधन खेती है जिस वजह से उन्हें मशक्कत करनी पड़ रही है,धान की फसल जंगली हाथियों को पसंद है इसीलिए वे खेतों की ओर रुख कर रहे हैं और किसानों को खेतों को चौपट कर दे रहे,दूसरी बात यह कि जंगली हाथियों के द्वारा किसानों के खेतों की फसल को नष्ट किए जाने के बाद उन्हें प्रशासन से किसी भी तरह की राहत राशि या मुआवजा दिए जाने का प्रावधान नहीं है इसलिए किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ती है और यही वजह है कि किसान अब जंगली हाथियों से अपनी फसलों को बचाने खुद जान की बाजी लग रहा है
(ब्यूरो रिपोर्ट)
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