बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर एवं मानपुर परिक्षेत्र से आतंक का पर्याय बन चुके दो बाघों को पार्क प्रबंधन ने पहले तो रेस्क्यू कर बाड़े में छोड़ा था फिर बिहैव अध्ययन के बाद उसे वन विहार भोपाल भेजा गया है,प्रबंधन की माने तो दोनो बाघ अब जंगल में सर्वाइव करने योग्य नहीं है लिहाजा इन्हे जू में रखना ही उचित होगा।
उमरिया।बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से दो बाघों को वन विहार भोपाल भेजा गया है टाइगर रिजर्व में दोनों बाघों को मगधी जोन के बहेराहा इंक्लोजर में रखा गया था। दोनो बाघों में से एक को पतौर तो दूसरे को मानपुर के मझखेता से रेस्क्यू कर पकड़ा गया था जिसके बाद दोनो बाघों के स्वभाव का अध्ययन कराया गया जिसमे दोनो बाघ जंगल में रहने के अनुकूल नहीं पाए गए लिहाजा दोनो को वन विहार चिड़ियाघर भोपाल में शिफ्ट किया गया है।
क्यों हुआ स्वभाव में बदलाव
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा ने बताया की दोनों बाघ टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे गांवो के जंगल में विचरण कर रहे थे जिसके कारण वे लगातार मवेशियों का शिकार करने के आदि हो चुके थे इसके अलावा कई बार ग्रामीणों के ऊपर हमला कर जनहानि को भी अंजाम दिया ये दोनो बाघ जंगल के भीतर सर्वाइव करने लायक नही थे अगर इन्हें जंगल में छोड़ा जाता तो ये भूख से या फिर किसी बड़े बाघ के हमले में मारे जाते लिहाजा वन विहार में शिफ्ट कर दिया गया है।
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