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जिला न्यायालय में नेशनल लोक अदालत संपन्न

 

आपसी सुलह समझौता से प्रकरणो का निराकरण में लोक अदालत की महती भूमिका-प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश

न्याय सबके के लिए की अवधारणा को साकार रूप प्रदान करना नेशनल लोक अदालत का उद्देश्य- अपर कलेक्टर

उमारिया। ‘‘न्याय सबके लिये’’ की अवधारणा को साकार रूप प्रदान करने के लिये  जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आथित्य  में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया । नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण हेतु खण्डपीठों का गठन किया गया था। नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ  जिला एवं सत्र न्यायाधीश  महेन्द्र सिंह तोमर द्वारा मॉ सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर किया गया। 

  कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि आपसी सुलह समझौता के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण में नेशनल लोक अदालत अपनी महती भूमिका अदा करता है , और पक्षकार के समय एवं पैसों की बचत होती है। वकील का खर्च बचता है। सभी को आसानी से न्याय मिल जाता है । इसमें किसी की हार एवं जीत नही होती है। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपर कलेक्टर शिव गोविंद सिंह मरकाम ने कहा कि न्याय सबके लिए की अवधारणा को साकार रूप प्रदान करने के लिए नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाता है। लोक अदालत के माध्यम से सभी के साथ त्वरित न्याय होता है। किसी पक्ष को सजा नही होती है ,और बातचीत के जरिये समस्या का समाधान हो जाता है । उन्होंने कहा कि नेशनल लोक अदालत के माध्यम से लोगो को सस्ता न्याय मिल रहा है। लोक अदालत में मिले न्याय की कही अपील नही होती है। 

  कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि नेशनल लोक अदालत में न्यायालय में दीवानी, फौजदारी, क्लेम, चैक बाउंस, श्रम के साथ-साथ प्रीलिटिगेशन प्रकरण बैंक, नगर पालिका, विद्युत विभाग आदि के विचाराधीन प्रकरणों की आपसी राजीनामा (सुलह समझौते के आधार पर निराकरण होता है।

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में लंबित हिन्दू विवाह अधिनियम से संबंधित प्रकरण खालिदा तनवीर, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड उमरिया के न्यायालय के अंतर्गत 6 वर्षों से पृथक जीवन यापन कर रहे दंपति को वैवाहिक संबंधों का पुनर्स्थापन कर एक परिवार को आपस में मिलाया गया, इसके अतिरिक्त  अमृता मिश्रा, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड उमरिया के न्यायालय के अंतर्गत भी वैवाहिक प्रकरण में आपसी समझौता कराकर उनका पुर्नमिलन कराया गया।

 इस अवसर पर अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी गोविन्द सिंह मरकाम, जिला अधिवक्ता संघ उमरिया पुष्पराज सिंह, विशेष न्यायाधीश/तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीष रामसहारे राज, प्रथम अपर जिला न्यायाधीष श्री आर0एस0 कनौजिया, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संगीता पटेल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट  आर0पी0 अहिरवार, न्यायिक दण्डाधिकारी  धर्मेन्द्र खण्डायत, अमृता मिश्रा, तृतीय व्यवहार न्यायाधीष, सुश्री दिव्या विष्वकर्मा, प्रषिक्षु न्यायाधीष/प्रथम व्यवहार न्यायाधीष, किषन सिंह, मुख्य नगर पालिका अधिकारी उमरिया, बैंक के अधिकारीगण, जिला न्यायालय के कर्मचारीगण/जिविसेप्रा के कर्मचारीगण, खण्डपीठ के समस्त समाजसेवी, पैनल अधिवक्ता/सुलहकर्ता अधिवक्ता, लीगल एड डिफेन्स काउंसिल सिस्टम के कर्मचारीगण एवं पत्रकारगण उपस्थित रहे, उपस्थित समस्त जनों के अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये।कार्यक्रम का संचालन  दुष्यंत सोनी, जिला नाजिर जिला न्यायालय उमरिया ने किया।

  जिला न्यायालय उमरिया के अंतर्गत मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों में से कुल -70- प्रकरण लोक अदालत में रेफर किये गये थे, जिसमे से 22- प्रकरणों में कुल मिलाकर 52,00,000-/-रूपये का एवार्ड पारित किया गया। धारा 138 के अंतर्गत -121- रैफर प्रकरणों में -10- प्रकरण निराकृत हुये तथा -1,76,9000-/-रूपये की राशि के एवार्ड पारित किये गये । न्यायालय में लंबित आपराधिक समनीय मामलों में -661- प्रकरण रखे गये जिसमें से -114- का निराकरण राजीनामा के आधार पर हुआ । वैवाहिक प्रकरणों के निराकरण हेतु -38- प्रकरण रखे गये जिसमें से -02- प्रकरण राजीनामा के आधार पर निराकृत हुये और -4- लोग लाभांवित हुये । कुल मिलाकर न्यायालय में लंबित प्रकरणों में -1205- प्रकरण रखे गये जिसमें से -175- प्रकरण निराकृत हुये तथा -8843505/-रूपये का एवार्ड राशि पारित हुई ।  

  प्रीलिटिगेशन स्तर पर बैंक रिकवरी के -1594- प्रकरण में से -31 प्रकरण निराकृत हुये तथा -83186215/-रूपये की राशि बैंको में जमा हुई। बिजली के -102-पूर्ववाद प्रकरणों में से-86-प्रकरणों का निराकरण हुआ तथा -695066--/-रूपये की राशि की वसूली की गई। इसी तरह नगरपालिका के जलकर के -338- प्रकरणों में से -143-प्रकरण निराकृत हुये और --466046-/-रूपये की वसूली की गई। आयोजित नेशनल लोक अदालत सफल रही और न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में कमी आई। 

        प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में लंबित एक हिन्दू विवाह अधिनियम से संबंधित प्रकरण सुश्री खालिदा तनवीर, प्रथम व्यवहार न्यायाधीष कनिष्ठ खण्ड उमरिया के न्यायालय के अंतर्गत 06 वर्षो से पृथक जीवन यापन कर रहे दंपति को वैवाहिक संबंधों का पुनर्स्थापन कर एक परिवार को आपस में मिलाया गया, इसके अतिरिक्त श्रीमती अमृता मिश्रा, तृतीय व्यवहार न्यायाधीष कनिष्ठ खण्ड उमरिया के न्यायालय के अंतर्गत भी वैवाहिक प्रकरण में आपसी समझौता कराकर उनका पुर्नमिलन कराया गया।

(अंजनी राय की रिपोर्ट)

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