मप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य के मुख्य आतिथ्य में दागना कुप्रथा विषय पर बैठक संपन्न,उमरिया जिले को दागना कुप्रथा से मुक्त कराने विशेष पहल की जाए- सदस्य मप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग
उमरिया । मप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य मेघा पवार के मुख्य आतिथ्य में दागना कुप्रथा विषय पर कलेक्टर सभागार में बैठक संपन्न हुई। बैठक में कलेक्टर बुध्देश कुमार वैद्य, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग मनमोहन सिंह कुशराम, जिला शिक्षा अधिकारी महेंद्र सिंह गौर, सीएमएचओ डा आर के मेहरा, श्रम पदाधिकारी आर के गुप्ता, परियोजना अधिकारी सुनेंद्र सदाफल, अंजू सिंह, सीडीपीओ पाली मोनिका सिन्हां , दिव्य प्रकाश गौतम बाल कल्याण समति अध्यक्ष, अरूण त्रिपाठी, दयाशंकर गौतम, मधुलिका अग्रवाल, शिवरतन सेन बाल कल्याण समिति सदस्य, शशि गौतम, राजा तिवारी सदस्य किशोर न्याय बोर्ड सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे ।
मप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य मेघा पवार ने कहा कि उमरिया जिले को दागना कुप्रथा से मुक्त करानें के लिए विशेष पहल की जाए। इसके लिए आवश्यक है कि अस्प्ताल में भर्ती प्रसूताओं तथा गर्भवती माताओ सें संपर्क कर उन्हें दागना कुप्रथा से होने वाले दुष्परिणाम से अवगत कराया जाए । साथ ही अस्पताल एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में आडियो , वीडियों के माध्यम से भी दागने से होने वाले दुष्परिणाम के प्रति जागरूक करनें का कार्य किया जाए । उन्होने कहा कि प्रसूताओं को इस बात का संकल्प दिलाया जाए कि वे बच्चें के बीमार होने पर दागना कुप्रथा का सहारा न लेते हुए अपने बच्चे का इलाज नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर कराऐगे, ताकि बच्चे का समय पर उपचार हो सके।
उन्होने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रो में भी दीवार लेखन, नुक्कड़ नाटक, गीत संगीत के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जाए, ताकि उमरिया जिले को दागना कुप्रथा से मुक्त कराया जा सके। इसके साथ ही दागनें वाले दाईयों को भी चिन्हित करने के निर्देश दिए गए। मप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य मेघा पवार व्दारा बाल एवं कुमार श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम के सबंध में भी चर्चा की गई।
कलेक्टर बुध्देश कुमार कहा कि दागना कुप्रथा अंधविश्वास है ,बच्चों को इस कुप्रथा से बचाने के लिए सेक्टर स्तर पर बैठक आयोजित कर दागना कुप्रथा के दुष्प्रभावो की जानकारी दें । ग्राम मे यदि निमोनिया बीमारी से बच्चा पीडित पाया जाता है तो उनके परिवार जनों को अस्पताल में इलाज कराने की समझाईश दी जाए। परिवार के बुजुर्गाे से सतत संपर्क स्थापित कर उन्हें दागना कुप्रथा से होने वाले नुकसानों के संबंध में जानकारी दी जाए।
(ब्यूरो रिपोर्ट)
0 टिप्पणियाँ