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आयुर्वेद से ही बीमारियों का जड़ से विनाश किया जा सकता है - कलेक्टर

 

जिले की जलवायु एवं पारिस्थितिकी तंत्र आयुर्वेद औषधियों के उत्पादन के लिए अनुकूल है - सी ईओ जिला पंचायत

उमरिया । आयुर्वेद चिकित्सा हमारे देश की पुरातन विधा है, इसकी खोज भी भारत में हुई थी।  कोरोना काल में आयुर्वेद के काढे जीवन रक्षक काम किया था, आज आयुर्वेद की जडी बूटियां  फिर से लोकप्रिय हो रही हैं, अभी तक तो प्राक्रतिक रूप से पायी जाने वाली जडीबूटियो का दोहन कर रहे थे, अब जब आयुर्वेद के प्रति विश्वास बढ़ा है, मांग बढी है तब हमारे किसान खेती के साथ आयुर्वेद की जडीबूटियो का उत्पादन करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं। जिले में स्वसहायता समूह की बहनों ने इस दिशा में प्रयास किये है। उक्त आशय के विचार कलेक्टर बुध्देश कुमार वैद्य ने कृषि विज्ञान केंद्र में जिला आयुष विभाग द्वारा आयोजित अश्वगंधा, तुलसी, शतावर के सम्बंध में आयोजित कृषकों की कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। आपने कहा कि सरकार व्दारा इसे बढावा दिया जा रहा है, मध्यप्रदेश औषधीय पादप बोर्ड न ई दिल्ली व्दारा स्वीकृत परियोजना के माध्यम से आयुष विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। इस अवसर पर  कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा समन्वयक डा के पी तिवारी, डा विनीता सिंह तथा डा धनन्जय सिंह व्दारा खेती के तरीके, प्रोससिंग, मार्केटिंग आदि के संबंध में जानकारी दी 

 कार्यशाला का शुभारंभ कलेक्टर बुध्देश कुमार वैद्य, सीईओ जिला पंचायत इला तिवारी, ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तथा दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर जिला आयुर्वेद अधिकारी डा आर के सिंह, डा विनोद सिंह, महा प्रवधंक उद्योग दिनेश मर्सकोले, सहायक संचालक उद्यानिकी, क्रषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक, तथा जिले भर से आये उद्यानिकी कृषक उपस्थित थे।

  सीईओ जिला पंचायत इला तिवारी ने कहा कि जिले के किसान पारम्परिक तरीके से खेती करते हैं, कृषक सब्जी तथा आयुर्वेदिक औषधियों से अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं, आपने कहा कि उमरिया जिले की जलवायु तथा पारस्थिकीय तंत्र इसके अनुकूल है, जिले में करौदीटोला डोडका तथा पठारी ग्रामों में स्वसहायता समूह की बहनों आयुर्वेद जडीबूटियो का उत्पादन शुरू किया है। पाली जनपद पंचायत में मुनगा की खेती बढे पैमाने पर शुरू की गयी है, जब किसान बढी संख्या में जुडेगे तथा उत्पादन शुरू करेंगे तो बढी कंपनियां यहाँ खरीदने आयेंगी तथा किसानों को अच्छे दाम भी मिलने लगेगें।

जिला आयुर्वेद अधिकारी डा आर के सिंह ने कहा कि देव अभयारण्य योजना के तहत औषधीय पौधों की खेती करने तथा उत्पादन बढाने का कार्य जिला पंचायत के माध्यम से शुरू किया गया है, मध्यप्रदेश औषधीय पादप बोर्ड व्दारा शतावर, तुलसी तथा अश्वगंधा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कार्यशाला का आयोजन क्रषि विज्ञान केन्द्र उमरिया में किया गया है, इसके साथ ही अन्य औषधीय पादप का उत्पादन भी किसान कर सकते हैं, आयुष विभाग सहयोग के लिए तत्पर रहेगा। 

 वरिष्ठ क्रषि वैज्ञानिक डा के पी तिवारी ने उत्पादन के मूल्य संवर्धन की जानकारी देते हुए कहा कि उत्पादन मापदण्डों में खरा उतरना चाहिए। उत्पादन अधिक होना चाहिए तभी बडी कंपनियां खरीदने के लिए आती हैं। खेती के लिए अच्छे बीज तथा वैज्ञानिक तकनीकों को भी अपनाना होगा। कार्य क्रम का संचालन जिला आयुष विभाग के संदीप त्रिपाठी व्दारा किया गया।

#ayushdept.mp/

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