बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों की मौत को लेकर हड़कंप मचा हुआ है,जिम्मेदार अफसर असमय हो रही बाघों की मौत के आंकड़ों को कम करने में नाकाम हैं पार्क प्रबंधन का बाघ संरक्षण का पूरा सिस्टम फेल दिखाई दे रहा है।
मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व नाकाम प्रबंधन की करतूत से आंसू बहा रहा है,बांधवगढ़ में बाघों की मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है और जिम्मेदार पार्क अमला बाघों की मौत को रोकने की बजाय वन और वन्य जीव सरंक्षण के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले सालाना करोड़ो के बजट को कागजी ठिकाने पर लगाने पर जुटा हुआ है।
फिर हुई बाघ की मौत
उमरिया जिले के विश्वप्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में फिर एक बाघ की मौत हो गई है,घटना सोमवार मंगलवार की दरमियानी रात की है जहां पनपथा कोर क्षेत्र के हरदी बीट में बाघ का शव मिला है घटना की जानकारी के बाद मंगलवार की सुबह पार्क की टीम घटनस्थल रवाना हुई है,डॉग स्कायड और फॉरेंसिक टीम की मदद से बाघ की मौत की कारणों की जांच की जा रही है,प्रबंधन के अधिकारियों के मुताबिक बाघ की मौत आपसी लड़ाई से होना प्रतीत हो रही है।
20 बाघों की मौत से उपजे सवाल,जवाब नदारत।
बांधवगढ़ में बीते वर्ष 2023 के मार्च माह से अब तक 20 बाघों की मौत अलग अलग परिक्षेत्रों में हो चुकी है,इतनी बड़ी तादात में बाघों की मौत देश के किसी राज्य या टाइगर रिजर्व में नही हुई है बाघों की सिलसिलेवार मौत को लेकर प्रबंधन के लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं लेकिन सवालों के जवाब नदारत है।जिम्मेदार अफसर केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा वन एवं वन्य जीव सरंक्षण के लिए दिए जा रहे लाखों करोड़ों के बजट को हजम कर कागजी खानापूर्ति करने में जुटे हैं,वरिष्ठ अधिकारी से लेकर जमीनी अमला अपने दायित्वों के निर्वहन में गायब सा नजर आ रहा है।
(ब्यूरो रिपोर्ट)
0 टिप्पणियाँ