मोटे अनाज, फल तथा सब्जियों का बीज बैंक तैयार करने की सामूहिक पहल शुरू की
उमरिया । अधिक उत्पादन प्राप्त करने की लालच में वर्तमान में हाईब्रिड बीज, रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशको का अंधाधुंध प्रयोग किया जाता है । इससे जहां मिटटी की उर्वरा शक्ति कम होती है वहीं उत्पादित अनाज बीमारियों का कारण बनता है । साथ ही खेती की लागत भी बढती है ।
जिले के करकेली ब्लाक मे समर्थन फाउण्डेशन तथा प्रकृति मण्डपम के संचालक वीरेंद्र कुमार द्वारा खेती मे परंपरागत बीजो का उपयोग करने तथा गोबर की खाद का उपयोग करने के लिए किसानो को प्रेरित किया जा रहा है । घोघरी ग्राम में चौपाल लगाकर डा. अभय पाण्डेय ने किसानों से चर्चा करते हुए कहा कि तत्कालिक लाभ प्राप्त करने के लिए हम सब रासायनिक उर्वरक, कीटनाशको का प्रयोग करते है , जो मानव जाति के लिए अत्यंत खतरनाक है। प्रकृति मण्डपम के संचालक वीरेंद्र कुमार द्वारा ग्रामीणों के सहयोग से आकाशकोट क्षेत्र के ग्रामों में जहां परंपरागत रूप से खेती की जाती है , से कोदो, कुटकी, जौ, रमतिला , लौकी, भाजी तथा अन्य बीजों का संकलन किया जा रहा है। उन्होने बताया कि आगामी फसल में किसानों को यह बीज निशुल्क प्रदाय किए जाऐगे तथा उत्पादन के पश्चात किसानों से वापस लिए जायेगे । इससे जहां किसानो द्वारा उंची दरो पर खरीदे जाने वाले बीज से मुक्ति मिलेगी वहीं परंपरागत बीजों का भी प्रचलन बढेगा। खेती की लागत कम होगी। आपने किसानों से कहा कि उनके पास यदि बीज है तो बीज बैंक में जमा करें और यदि उनके रिश्तेदारों या परिचितों के पास बीज है तो उनसे चर्चा कर मंगा लें। वीरेंद्र कुमार गौतम की पहल धीरे धीरे रंग लाने लगी है। उनके प्रयास से प्राकृतिक खेती को पुर्नजीवित करने का अवसर जल्दी ही मिलने वाला है ।
(ब्योरो रिपोर्ट)
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